सबसे पहले तो आप साइकोलॉजी को समझें की इंसान सोचता क्या है ? अगर आप प्रोडक्ट पहले दिखाएंगे तो क्या होगा ? और अगर आप बिजनेस प्लान पहले दिखाएंगे तो क्या होगा ?
तो इसके बारे में मैं आप सभी को एक उदाहरण के माध्यम से समझाना चाहूंगा, जिससे आपको यह क्लियर हो जाएगा कि आपको बिजनेस प्लान पहले दिखाना चाहिए ? या प्रोडक्ट दिखाना चाहिए ?
मान के चलिए की एक ऐसा व्यक्ति है जो कभी कार नहीं चलाया है, यहां तक कि कभी वह कार में बैठा तक भी नहीं है वह सिर्फ साइकिल चलाया है और उस व्यक्ति को आप अचानक से कार के शोरूम में लेकर जाते हैं और उसको कार के फीचर बताने लगते हैं,
तो आपको कितने % चांस लग रहा है कि उस व्यक्ति को उस कार का फीचर समझ में आया होगा ? आप यह सोच कर देखिए कि वह व्यक्ति कार चलाना तो दूर कभी कार में बैठा तक भी नहीं है तो उसको कैसे समझ में आएगा ?
लेकिन अगर आप उसको साइकिल से संबंधित कुछ बताएंगे तो उसको बहुत ही आसानी से और बहुत ही जल्द समझ में आ जाएगा। सेम उसी तरीके से जब आप किसी नए व्यक्ति के साथ बैठते हैं जो कभी भी नेटवर्क मार्केटिंग नहीं किया है,
वह कभी भी किसी प्लान के साथ काम नहीं किया है तो आप उस व्यक्ति को अगर पहली बार में ही बिजनेस प्लान समझाने लगेंगे तो उस व्यक्ति को वह बिजनेस प्लान समझ में नहीं आएगा चाहे वह बिजनेस प्लान कितना भी आसान हो लेकिन पहली बार में प्लान समझ में आ ही नहीं सकता है।
लेकिन अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बैठे हैं जो पहले किसी ना किसी प्लान के साथ काम किया है तो उस व्यक्ति को आपका प्लान समझ में आ जाएगा पहली बार में ही।
लेकिन जो व्यक्ति कभी किसी बिजनेस प्लान के साथ काम नहीं किया है उस व्यक्ति को अगर आप प्लान समझाएंगे तो पहली बार में समझ में नहीं आएगा। इसलिए मैं आप सभी को यही समझाना चाहूंगा कि पहली बार में किसी को भी प्लान समझाने का कोई मतलब ही नहीं है।
सबसे पहले आप उनसे मिलिए उनको थोड़ा सा टाइम दीजिए उनसे अच्छा रिलेशनशिप बनाइए, जब आप अच्छा रिलेशनशिप बना लेंगे तो सामने वाला व्यक्ति आपसे अपने आप प्लान पूछ कर समझेगा।
आपको उसको समझाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी वह आपसे पूछ कर समझने लेगा। तो अब मैं आप सभी को यह बताना चाहूंगा कि अगर पहली बार आप किसी व्यक्ति से मिल रहे हैं तो आपको पहली बार में क्या करना चाहिए ?
पहली बार में आपका प्रोडक्ट काम करता है क्योंकि वह प्रोडक्ट ही वह चीज है जो हर एक व्यक्ति किसी ना किसी ब्रांड का बचपन से यूज करता है, तो वह व्यक्ति भी बचपन से किसी ना किसी ब्रांड का प्रोडक्ट यूज करता होगा।
जब आप प्रोडक्ट उस व्यक्ति के सामने रखेंगे तो वह उस प्रोडक्ट के बारे में समझेगा। उसका क्वालिटी देखेगा और जब उसको समझ में आ जाएगा तो वह आपका प्रोडक्ट ले लेगा।