आज के इस लेख में मैं आप सभी को बताऊंगा कि आपको दूसरे के बातें सुनने से पहले किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ? तो इसको मैं आप सभी को एक उदाहरण के माध्यम से समझाना चाहूंगा जिससे आप सभी को अच्छे से समझ में आ जाए।
एक सब्जी वाला था जो बाजार में सब्जी लेकर बैठा था और एक बोर्ड पर यह लिखकर लगा दिया था कि यहां पर बिल्कुल फ्रेश और ताजे सब्जी मिलते हैं। तो वहां पर कुछ देर बाद एक आदमी आया और वह बोला कि तुम्हारा सब्जी तो ताजा है ही तो ताजा लिखने की जरूरत क्या थी।
यह तो देख कर ही पता चल रहा है कि तुम्हारा सब्जी ताजा है तो यह सुनकर वह सब्जी वाला जो बोर्ड पर लिखा था कि यहां पर ताजा सब्जी मिलते हैं तो उस बॉर्ड पर से ताजी शब्द को काट दिया यानी कि उसको हटा दिया सिर्फ यह लिखा था कि यहां सब्जी मिलते हैं।
इतना सुनकर वह सब्जी वाला जो सब्जी शब्द था उस सब्जी शब्द को भी मिटा दिया और सिर्फ उस बोर्ड पर यह लिखा था कि यहां मिलते हैं। तो कुछ देर बाद फिर से एक और ग्राहक आया और वह यह बोलने लगा कि यह तो सबको पता है कि यहां मिलते हैं।
यानी कि यहां तुम्हारे पास सब्जी मिलते हैं तो इसमें लिखने की क्या जरूरत थी कि यहां मिलते हैं। इतना सुनकर वह सब्जी वाला पूरा बोर्ड ही साफ कर दिया यानी कि बोर्ड पर अब कुछ भी नहीं लिखा था।
तो यहां पर मैं आप सभी को सिर्फ यही समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि हर इंसान की जिंदगी भी कुछ इसी तरीके से है। जब आप कोई काम करने के लिए तैयार होते हैं तो आपके पास हजारों लोग सलाह देने के लिए आते हैं।
हर लोग अपना अपना सलाह देते हैं तो वहां पर इंसान क्या करता है कि सारे लोगों के सलाह को सुनकर जो काम करने वाला होता है उसको बदलने का कोशिश करने लगता है।
वह कभी भी अपने दिल की बातों को नहीं सुनता है कि जो मैं कर रहा हूं वह सही है या फिर गलत है वह सिर्फ लोगों के बातों को सुनकर अपना फैसला बदल देता है।
तो यहां पर मैं आप सभी को यह बता दूं की आप सुनिए सब की, लेकिन कीजिए अपने मन की, सारे लोगों के बातों को सुनकर समझ कर यह डिसाइड कीजिए कि यह काम मुझे करना है या नहीं करना है।
आप सब की बातों को सुनिए और जो सही है जो सबसे अच्छा है वही कीजिए आपको यह नहीं करना है कि हर एक व्यक्ति के हिसाब से चलें। अगर कोई बोलता है कि तुम इस काम को मत करो तो आप उसको छोड़ देंगे।
अगर कोई बोलता है कि तुम इसके बदले यह काम करो तो आप अपना काम बदल कर दूसरा काम करने लगेंगे ऐसा आपको बिल्कुल भी नहीं करना है। तो आप अपनी जिंदगी में जब भी कोई फैसला लें तो वहां पर जितने भी लोग आपको सलाह देते हैं
उन लोगों की बातों को सुनिए समझिए उसके बाद से यह विचार कीजिए कि मुझे क्या करना चाहिए ? क्या यह सच में मेरे लिए गलत है या सही है ?
अगर आप हर लोगों के बातों को सुनकर इंप्लीमेंट करते रहेंगे तो उन लोगों का एडवाइज गलत भी हो सकता है। इसलिए आपको मैं सिर्फ यही समझाना चाह रहा हूं कि आप जो भी काम कीजिए सोच समझकर कीजिए अपने जिंदगी में आगे बढ़ते रहिए।