आज के इस लेख में मैं आप सभी को यही बताऊंगा कि कस्टमर सोचते कैसे हैं? एक बहुत ही बड़ी समस्या सेल्स की क्लोजिंग को लेकर है। सबसे पहले तो कस्टमर के साइकोलॉजी से रिलेटेड एक फैक्ट को समझना होगा।
कई बार क्या होता है कि नेटवर्क मार्केटिंग में जब फेस टू फेस बात करते हैं या प्लान देते हैं तो उनके पास चुनने की ऑप्शन बहुत ही कम रहता है और उनको यह लगता है
कि उनकी किसी भी बात को अनसुना कर दिया जाएगा यानी की नजर अंदाज कर दिया जाएगा या तो उनकी बात को तभी सुनी जाएगी जब वह यह चीजें खरीदेंगे यानी कि जो चीज आप उनसे बेच रहे हैं।
तो आखिर इसका सलूशन क्या है, कैसे उनको फील कराएं की वह खुद खरीद रहे है नाकी उनसे कुछ बेचा जा रहा है।
इसके लिए सबसे पहले आपको क्या करना है कि, जब आप प्लान देने के लिए बैठते हैं तब आपको बातों को शुरू करने में ही बातों-बातों में आपको यह बात बतानी है कि मैं आपसे सारी बातें करने से पहले
एक बात बताना चाहता हूं की मैं अपनी कंपनी और प्रोडक्ट सर्विस के बारे में मैं जो कुछ भी आपको बताने वाला हूं मुझे कुछ भी बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
क्योंकि आप जैसे ही इन सारी चीजों के बारे में जानेंगे तो आप खुद ही खरीदने के लिए तैयार हो जाएंगे और यह बात मैं अपनी अनुमानों से बोल रहा हूं और मैं यह अनुमान आपको देखकर ही लगा सकता हूं
कि आप अच्छी चीजों पर और अच्छे लोगों पर, अच्छे प्लान पर इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं। कहीं यह बात मैं गलत तो नहीं बोल रहा हूं, यह बात आपको उनसे बोलना है कि मैं गलत तो नहीं बोल रहा हूं
तो वह व्यक्ति ऐसा कभी नहीं बोलेगा कि मैं अच्छी चीजें को खरीदना या मैं अच्छे प्लान पर इन्वेस्ट करना पसंद नहीं करता हूं, यह बात कभी नहीं बोलेगा।