Only 4 Rules of Success in Hindi सफलता के केवल 4 नियम

Rules of Success सफलता के नियम

महत्वपूर्ण बिन्दू

Only 4 Rules of Success: आज के इस लेख में हम बात करेंगे उन 4 सिद्धांतों के बारे में और 4 प्रिंसिपल्स जो हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति श्रीमान एपीजे अब्दुल के बारे में बताया गया हैं। 4 नियम,4 प्रॉमिस है , जो हर इंसान को, स्टूडेंट को खुद अप्लाई करना चाहिए। अगर कोई भी स्टूडेंट या इंसान इसको अपने जीवन में अप्लाई कर लेता है।

और फालों करता है, तो दुनिया में कोई ऐसी चीज नहीं है जो उस इंसान के कदमों में ना गिर जाए, तो इन चारों प्रिंसिपल्स को विस्तार से समझेंगे ताकि आप को फॉलो करने में आसानी रहे, तो ध्यान से आप इस लेख  को लास्ट तक पढ़े, क्योंकि इसका एक शब्द बहुत कीमती है।

Only 4 Rules of Success
Only 4 Rules of Success

Only 4 Rules of Success

Rule No.1

दोस्तों सन 1958 की बात है डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक पायलट बनना चाहते थे उन्होंने मेहनत करके पायलट बनने के लिए सारी परीक्षाएं पार कर ली लेकिन पायलट की वैकेंसी में केवल 8 सीट ही थी। और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम 9वे नवंबर पर थे, उनका सिलेक्शन तभी हो सकता था।

जब उनके ऊपर के 8 कैंडिडेट में से कोई अपना वैकेंसी छोड़ दें या फिर मेडिकल में आउट हो जाए, लेकिन उनको इस बात का काफी डिसएप्वाइंटमेंट हुआ,कि उनको केवल एक रैंक की वजह से वह सेलेक्शन से आउट हो गए। उन्होंने यह स्वीकार किया कि, “it is a disappoint for me but disappointment good not defend me” मैं निराश जरूर हुआ था।

लेकिन निराशा मुझे कभी नहीं हरा सकी उन्होंने ठान लिया था, कि भले ही पायलट बनकर एयर कैप ना उड़ा सकूं लेकिन मैं इंजीनियर बन कर या साइंटिस्ट बन कर मैं एयर कैप जरूर बना सकता हूं। मैं मिसाइल और रॉकेट बना सकता हूं, दोस्तों यह तो किसी को नहीं पता कि अगर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक पायलट बनते तो वह कहां तक पहुंच पाते लेकिन उन्होंने इस बात को जरूर साबित किया।

अगर वह पायलट नहीं बन पाए तो उन्होंने मिसाइल और रॉकेट जरूर बना दिए, वह भले ही इंडियन एयरपोर्ट के पायलट नहीं बन पाए लेकिन राष्ट्रपति जरूर बने। जो तीनों सेनाओं के commander-in-chief होते हैं,और तीनों सेनाओं में आर्मी नेवी व एयरफोर्स भी होती है। दोस्तों उनका कहा गया रुल नंबर वन कि हमेशा अपने आपको बोलिए i will have great aim मैं अपना लक्ष्य हमेशा ऊंचा रखूंगा, यह प्रॉमिस हमेशा आपको याद दिलाते रहेगा है।

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Rule No.2

हमेशा अपने आप से बोलिए की i will continuous acquire knowledge यानी कि,मैं हमेशा लगातार ज्ञान हासिल करता रहूंगा। दोस्तों आज हम दूसरे Rule को उन्हीं के जीवनी से समझते हैं,डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। वह एक इंजीनियर एव वैज्ञानिक थे, उन्होंने बहुत सारे मिसन को लीड किया।

आज सक्सेसफुल भी रहे, उन्होंने पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न जैसे सिविलियन अवार्ड जीते और भारत के 11वे राष्ट्रपति भी बने। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने यह माना की वह अपने आप को एक टीचर और अध्यापक समझते हैं, और उनको सबसे ज्यादा खुशी तब मिलती है। जब उनका कोई स्टूडेंट पीएचडी पूरी कर लेता है।

उनके लाइफ में सबसे ज्यादा जरूरी कोई चीज थी, वो एजुकेशन नॉलेज उनका मानना है, कि एजुकेशन और ज्ञान के लिए जो सबसे बेस्ट टाइम होता है, वह होता है स्टूडेंट लाइफ। किसी भी इंसान के सक्सेस के पीछे उसके एजुकेशन का नॉलेज का सबसे बड़ा हाथ होता है, उनका मानना था कि एक स्टूडेंट का सबसे प्राइमरी कोई जॉब है,

तो अच्छी शिक्षा ग्रहण करना एक विद्यार्थी को एजुकेशन के अलावा किसी दूसरी चीज के बारे में नहीं सोचना चाहिए। अगर एक स्टूडेंट एजुकेशन के अलावा कुछ और करना चाहता है, तो बिकैन्स में किसी हॉस्पिटल के बाहर गरीब लोगों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त कर सकता है। उन्हें खाना और खुशी दे सकता है,पेड़ पौधे लगा सकता है, दूसरे लोगों को शिक्षा दे सकता है।

लेकिन इन सब कामों के बावजूद भी एक स्टूडेंट के लिए केवल नॉलेज हासिल करना सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। आपको हमेशा अपने आप को यह याद दिलाना है, की चाहे कुछ भी हो, मैं सीखना नहीं छोडूंगा दोस्तों पहला रूल था अपने आप को याद दिलाना i will have great aim और दूसरा रुल है अपने आप को याद दिलाना की i will continuous acquire knowledge.

Rule No.3

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का तीसरा नियम था,आप अपने आप से हमेशा यह प्रॉमिस करें कि,मैं हमेशा हार्ड वर्क करता रहूं, यानी कि आई विल डू हार्ड वर्क दोस्तों 1973 की बात है। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष के अंदर के चेयरमैन प्रोफेसर सतीश धवन ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से कहा कि हमें एक सैटेलाइट लॉन्च स्पीकर बनाना यानी कि एक ऐसा रॉकेट जिसमें हम सैटेलाइट रख कर उसे हम अंतरिक्ष में भेज सकते हैं।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने इस काम को पूरी जिम्मेदारी के साथ स्वीकार किया, वह इस प्रोजेक्ट और मिशन के डायरेक्टर थे। पूरी टीम को उनके नीचे काम करना था, उनके नीचे 1000 से भी ज्यादा दूसरे इंजीयर थे,और करीब 10,000 वर्कर और इनके अलावा भी ऐसे बहुत सारे लोग जो इनडायरेक्टली और इस मिशन से जुड़े हुए थे।

इतनी बड़ी टीम को 6 साल का वक्त लगाकर प्रोजेक्ट शुरू करने से लेकर लॉन्च के दिन तक 17 अगस्त 1979 इस तारीख को सेटेलाइट लांचर को टेस्ट होना था, लॉन्च से 8 मिनट पहले सारा कंट्रोल कंप्यूटर के हाथों में दे दिया गया। लेकिन उसी वक्त एक चेतावनी आई की लॉन्चिंग में कुछ दिक्कत है, लॉन्च के ठीक 4 मिनट पहले यह डायग्नोस किया गया की लांचर में कोई लिक्स है।

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लेकिन उनके टीम के जो एक्सपोर्ट थे, उनकी यह राय थी, कि लिक्स के बावजूद भी रॉकेट में इतना सफिसेंट डैसर है।यह अपना लांचर जारी रख सकते हैं, और मिशन लीडर होने की वजह से डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को यह डिसीजन लेना पड़ा कि वह रॉकेट को लॉन्च करेंगे। लेकिन लांच के कुछ मिनट बाद ही और रॉकेट पृथ्वी की कक्षा में ना जाकर बंगाल की खाड़ी में जाकर गिर गया।

6 साल की मेहनत हजारों लोगों की कई लाखों की वर्किंग हौर्स, जनता का पैसा और मिशन फेल हो गया 2 मिनट में, लेकिन जैसा कि डॉ एपीजे अब्दुल कलाम रूल नंबर 3 में बताते हैं कि हमेशा अपने आपको याद दिलाते रहे है, कि आप कड़ी मेहनत करते रहेंगे। ठीक उसी नियम का अनुसरण करके डॉ कलाम ने अपने थिंकिंग के साथ 1 साल और कड़ी मेहनत किये।

और प्रोजेक्ट के शुरू होने के 7 साल बाद आखिरकार उन्होंने साबित करके दिखाया की कड़ी मेहनत आपकी असफलता को सफलता में बदल सकती है। यानी कि दोस्तों हमेशा अपने आप से कहते रहे कि I Will Do Hard Work चार रूल्स में से तीन रूल्स हमने समझ ली है।

Rule No.4

जो कहानी मैंने आपको रूल नंबर थ्री में बताइए 7 साल बाद जाकर मिशन सफल हुआ वहीं से निकल कर आता है रूल नंबर फोर, यानी कि आपने आपको हमेशा यह याद दिला रहे आई विल पृजर वेयर एंड सकसीड, प्रिजर वेयर का मतलब है लगातार काम करना, चाहे कितनी भी मुसीबत आए कौन स्टेट ही आगे बढ़ते रहना अपने शब्दों पर और अपने वचनों पर कायम रहना।

किसी में इतनी हिम्मत ना हो कि वह आपके हौसलो को कम कर सकें हम ऐसे ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनकी आंखों में कुछ सपना है जो कुछ करना चाहते हैं वह काम करना शुरू करते हैं अपने सपनों पर लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उनकी विल पावर कम होती जाती है। दोस्तों आपको किसी भी कीमत पर अपने हौसलों को नहीं टूटने देना।

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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का मानना था कि आप तब तक अपना जिद्द मत छोड़िए जब तक आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते और आपके लक्ष्य हैं आपके यूनिक नेस आपका सबसे अलग होना आपकी पहचान सबसे अलग होना और आपकी इस यूनिक बनने की सफर में आपकी मुसीबतों का सबसे अहम रोल होता है।

अगर आपने अपने मुसीबतों से डरना छोड़ दिया उन पर से ध्यान हटाकर उनके हल के बारे में सोचना शुरू कर दिया और उस पर काम करना शुरू कर दीया तो आप किसी ना किसी दिन इस दुनिया में सफल जरूर हो जाओगे
इस लेख के लास्ट में उन सारे रूल्स के बारे में दोबारा से बताना चाहूंगा।

1 अपने आप को याद दिलाएं कि आपके पास में एक बहुत बड़ा सपना है।
2 अपने आपको हमेशा याद दिलाएं कि आपको कभी सीखना नहीं छोड़ना है।
3 कड़ी मेहनत करें मेहनत में कोई कमी ना छोड़े।
4 उस मेहनत को लगातार करते रहे और ऐसा अगर आप करते रहोगे तो आप एक दिन जरूर सफल हो जाओगे ।

उमीद करते है की आप सभी को यह लेख Only 4 Rules of Success पसंद आई होगी यदि आपको सभी को यह लेख Only 4 Rules of Success पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ सेयर जरुर करें ।

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