How to Handle Objection in Network Marketing. फॉलो अप कैसे करें ,क्लोजिंग कैसे करे, और इसको आसान भाषा में बात करें तो किसी भी गेस्ट को ज्वाइन कैसे कराएं या फिर नेगेटिव को पॉजिटिव में कैसे कन्वर्ट करें।
इन सारे सवालों का एक ही मतलब होता है और आज मैं आप सभी को इन सारे सवालों का जवाब इस लेख में देने वाला हूं, अगले कुछ मिनट में आपकी जिंदगी बदल सकती है।
क्योंकि आज मैं आप सभी को इस लेख में एक ऐसा बात बताने वाला हूं,
जैसे कि जब घोड़ों की रेस होती है तब उस टाइम जो घोड़ा दूसरे नंबर आता है वह घोड़ा पहले नंबर वाले घोड़े से बहुत कम ही पीछे होता है।
पहले और दूसरे नंबर वाले घोड़े के बीच में कई बार तो मात्र कुछ ही इंच की डिफरेंट होता है मतलब बहुत ही कम डिफरेंट होता है। लेकिन दोनों के इनाम में 10 गुना डिफरेंट होता है मेहनत तो दोनों की एक समान है, लेकिन टेक्निक में थोड़ा सा फर्क है और वही टेक्निक आज मैं आप सभी को इस लेख में बताऊंगा।
आज मैं आपसे भी को सिखाऊंगा की नेटवर्क मार्केटिंग में फॉलो अप कैसे करें, ना को हाँ मे कैसे बदले और क्लोजिंग कैसे करें।
How to Handle Objection in Network Marketing
1. What is objection?
आब्जेक्शन क्या है, तो मैं आप सभी को बता दूँ की आब्जेक्शन एक स्पीड ब्रेकर जैसे है।
मान लीजिए जैसे कि आप बाइक चला रहे हैं और आप बाइक को 70 की स्पीड में लेकर जा रहे हैं और रास्ते में एक स्पीड ब्रेकर आ गया तो आप क्या करेंगे, क्या आप रुक जाएंगे?
नहीं आप रुकेंगे नहीं आप वहां पर संभल जाएंगे और बैलेंस को ठीक करेंगे आप अपनी बाइक को बैलेंस करेंगे और स्पीड को धीमी करके स्पीड ब्रेकर को पार कर लेंगे।
यानी कि आप ऑब्जेक्शन को पार कर लेंगे। आब्जेक्शन आने पर आपको रुकना नहीं है, आपको केवल संभलना है और पूरी सावधानी के साथ आब्जेक्शन को पार करना है।
और दूसरी बात यह है कि अगर आप आब्जेक्शन को टेकल करना चाहते हैं तो इसका सबसे पहला नियम है।
Rule. 1 ALWAYS EXPECT THE OBJECTION
आब्जेक्शन को एक्सपेक्ट करो क्योंकि आब्जेक्शन आएगा ही। अगर कोई आकर आपसे यह कहता है कि आब्जेक्शन नहीं आएगा और आप जुड़ जाएंगे आब्जेक्शन कभी आएगा ही नहीं तो यहां पर वह व्यक्ति आपसे झूठ बोल रहा है।
क्योंकि ऑब्जेक्शन आता है और आब्जेक्शन ही इंसान को ज्वाइन कराने का एक रास्ता है और आब्जेक्शन मिल गया तो आप समझ लीजिए कि आपका 50% काम हो गया।
Rule. 2 UNDERSTAND THE PSYCHOLOGY मनोविज्ञान को समझें
जब भी कोई ऑब्जेक्शन आपके सामने आता है, जब भी कोई इंसान आपको ऑब्जेक्शन देता है, जैसे कि-
- मेरे पास प्रोडक्ट लेने के लिए पैसा नहीं है ।
- मैं सोचकर बताऊंगा।
- कंपनी भाग गई तो ?
- मुझे आपकी तरह बोलना नहीं आता।
- मुझे घर पर पूछना पड़ेगा।
- यह तो चैन बनाने का काम है ।
- मैं थोड़े दिन बाद जॉइन करूंगा इत्यादि ।
इस प्रकार के आब्जेक्शन तो उसके साथ एक एनर्जी होता है जैसे कि आप से कोई इंसान पूछता है की अगर आपकी कंपनी भाग गई तो, जब वह यह पूछता है तो एकदम सीरियस होकर पूछता है और उसके चेहरे पर कोई भी इस्माइल नहीं रहती।
चेहरे पर इस्माइल लेकर थोड़ी ना पूछेगा कि आपकी कंपनी भाग गई तो वैसे कभी नहीं पूछेगा जब भी वह पूछेगा वह सीरियस होकर बोलेगा आपकी कंपनी भाग गई तो उसके अंदर एनर्जी होगा वह गुस्से के साथ बोलेगा।
तो सबसे पहले आपको उस एनर्जी को अब्जॉर्ब करना है और उस एनर्जी कोअब्जॉर्ब करने का मात्र एक ही तरीका है उससे सहमत हो जाओ।
जैसे कि गेस्ट ने बोला मेरे पास पैसे नहीं है तो आप बोलिए बिल्कुल सही बात है हो सकता है आपके पास ऐसा ना हो मैं आपकी बात से सहमत हूं।
या कोई गेस्ट आपसे यह बोलता है कि मैं सोचकर बताऊंगा तो आप बोलिए बिल्कुल सही बात है सोचना चाहिए आपको बिना सोचे कोई काम नहीं करना चाहिए।
लेकिन बहुत लोग यहां पर गलती क्या करते हैं, जब कोई गेस्ट बोलता है कि मैं सोचकर बताऊंगा तो वह कहने लगते हैं इसमें सोचने वाली क्या बात है ऐसा थोड़ी न होता है।
ऐसा कुछ भी नहीं होता है तो फिर अगला आदमी यह बोलता है कि तब तो फिर ऐसा भी नहीं होता है।
तो यहां पर दोनों लोग एक दूसरे के ऑपोजिट खड़े हो गए। अगर आप चाहते हैं आपके बात से एग्री हो तो सबसे पहले आपको भी एग्री होना पड़ेगा अगर आप चाहते हैं कि आपका गेस्ट आपका बात सुने तो सबसे पहले आपको अपने गेस्ट का बात सुनना होगा।
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जब भी कोई ऑब्जेक्शन आता है तो उसके एनर्जी को खत्म करने के लिए आपको उनसे एग्री हो जाना है, यानी कि सहमत हो जाना है इस बात को ध्यान में रखें।
अब आब्जेक्शन को टेकल करने की टेक्निक के बारे में जान लेते हैं तो इस टेक्निक का नाम है
- FEEL
- FELT
- FOUND
जैसे कि आपने तो वह कहानी तो सुनी ही होगी की 100 तालों की एक चाबी इसका मतलब यह है कि 100 ताला है और एक चाबी है यह चाबी किसी भी ताले पर लग सकती है जिस चाबी का नाम है
- FEEL
- FELT
- FOUND
अगर आपने यह सीख लिया तो आपकी जिंदगी बदल जाएगी। क्योंकि आपको रिजल्ट मिलना शुरू हो जाएगा और अगर आपने यही बात अपनी टीम को सिखा दिया तो आपकी बिजनेस बहुत आगे तक बढ़ जाएगी।
क्योंकि यह बिजनेस करोड़पति लोगों लिए नहीं है यह बिजनेस जिसको करोड़पति बनना है वैसे लोगों का यह बिजनेस है।
चलिए अब टेक्निक पर बात कर लेते हैं टेक्निक का नाम है
FEEL, FELT and FOUND
1. FEEL
सबसे पहले आपको फील करना है, यहां पर आपको डॉक्टर की तरह काम करना है।
सोच कर बताऊंगा यह एक प्रकार का डायबिटीज है।
कुछ दिन बाद करूंगा यह एक प्रकार का बीपी है।
कंपनी भाग गई तो यह एक प्रकार का कैंसर है।
इस प्रकार का यह अलग-अलग बीमारी है तो सबसे पहले आपको यह बीमारी ढूंढनी होगी।
2. FELT
जैसे ही आपको पता चला कि यह बीमारी कौन सा है तो सबसे पहले उनको यह बताना है कि यह बीमारी आपको भी था।
जैसे कि आप मान लीजिए अगर किसी ने आप से कहा कि मेरे पास जॉइन करने के लिए अभी पैसे नहीं है तो आप उनसे यह बोलिए कि हो सकता है अभी आपके पास पैसे नहीं है, आपकी इस बात से सहमत हू।
अब यहां पर यह होता है कि जब आप सामने वाले की बातों से एग्री हो जाते हैं तो यहां पर आब्जेक्शन ठंडा हो जाता है।
अब आपको अपने गेस्ट से यह बताना है कि जब मैंने यह प्लान देखा था तब उस टाइम मेरे साथ भी यही समस्या थी मैंने भी यही बोला था कि मेरे पास पैसे नहीं है।
3. FOUND
यानी कि ढूंढा मैंने किस प्रकार से यह प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढा अब यहां पर आपकी जॉइनिंग कंफर्म होने वाली है ।
चलिए इसे एक एग्जांपल के माध्यम से समझ लेते हैं।
सोच कर बताऊंगा ,कुछ दिन बाद जॉइनिंग करूंगा ,और मेरे पास पैसे नहीं है तीन सवाल सबसे ज्यादा लोग करते हैं। लेकिन इसमें से सबसे खतरनाक जो सवाल है वह यह है कि ज्यादातर लोग यही कहते हैं की मेरे पास पैसे नहीं है।
मान लीजिए जब आपके गेस्ट ने आपसे कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है, तो आपको उसकी बातों से एग्री होना है और आपको यह बोलना है कि बिल्कुल सही बात है सर हो सकता है कि अभी आपके पास पैसे ना हो मैं इस बात को मानता हूं और मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं कि जब मैंने भी यह प्लान देखा था तब मेरे साथ भी यही समस्या थी उस टाइम मैंने भी यही बोला था की मेरे पास पैसे नहीं है।
अब आपको यहां पर FOUND अप्लाई करना है FOUND को कैसे अप्लाई करना है ?
आप यहां पर कुछ इस तरीके से कह सकते हैं, आप यह बोलिए कि जब मैंने बोला था मेरे पास पैसे नहीं है तब उस टाइम जिस इंसान ने मुझे प्लान को दिखाया उसने मुझे दो ऐसे बातें बताइए जो दो बातें मेरी जिंदगी बदल दी।
क्या आप उसे जानना चाहेंगे मैं उस बात को आप के साथ शेयर करना चाहता हूं।
इस पर सामने वाला व्यक्ति जरूर सुनना चाहेगा तब आप बोलिए जिस इंसान ने मुझे प्लान को दिखाया था उसने मुझसे सवाल पूछा था की तुमने तो बड़े ही प्यार से यह बोल दिया कि मेरे पास पैसे नहीं है, लेकिन क्या तुम कभी यह सोचे हो कि मेरे पास पैसे क्यों नहीं है।
उस दिन जिंदगी में मैं पहली बार यह सोचा कि मेरे पास पैसे क्यों नहीं है।
मैं तो इतना मेहनत करता हूं पैसे कमाता हूं एक ईमानदार व्यक्ति हूं पर फिर भी मेरे पास पैसे क्यों नहीं है।
तो उस इंसान ने मुझे यह समझाया कि तुम्हारी इनकम बहुत कम है इसलिए तुम्हारे पास पैसे नहीं है अगर तुम 50,000 हजार कमाते तो तुम्हारे पास पैसे होते कि नहीं तो फिर मैं बोला बिल्कुल मेरे पास पैसे होते।
और दूसरा सवाल जो उन्होंने मुझसे पूछा वह सवाल ने तो मेरे पैर के नीचे से जमीन ही खिसका दिया उन्होंने पूछा कि चलो छोड़ो पैसे नहीं है तो नहीं है लेकिन यह बताओ कि तुम्हारे पास पैसे होना चाहिए कि नहीं।
फिर मैंने सोचा कि मेरी शादी हो गई है, मेरे बच्चे हैं, मैं एक जिम्मेदार इंसान हूं और मेरे पास पैसे नहीं है।
मेरे पास पैसे तो होना चाहिए, कोई मेडिकल इमरजेंसी आ गई तो मैं क्या करूंगा तब उस इंसान मुझे यह समझाया कि तुम जो हालात में हो उसे कहते हैं गरीबी और भारत में 98 % लोग गरीब हैं।
यह कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यहां पर आप या तो यह मान लीजिए कि हम गरीब हैं और गरीब ही रह जाएंगे और आपके बेटा भी गरीब का ही गाना गाएगा।
अब यहां पर आप यह ठान लीजिए की मैं आज भले ही गरीब हूं लेकिन आने वाले समय में मैं गरीब नहीं रहूंगा अगले 1 से 2 सालों में अपनी जिंदगी बदल लूंगा।
मैं भले गरीब हूं लेकिन मैं अपने बेटे को अमीरों का जिंदगी दूंगा या तो मान लो या ठान लो। क्योंकि इस बिजनेस के लिए आपको ₹400000 या ₹500000 का इन्वेस्टमेंट नहीं करना है सिर्फ प्रोडक्ट परचेज करना है और आप इस बिजनेस को स्टार्ट कर सकते हैं।
मैं मानता हूं कि अभी आपके पास पैसे नहीं है लेकिन जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हमें इमरजेंसी का सामना करना पड़ता है और पैसों का इंतजाम करना पड़ता है।
तो आप इसको मान लीजिए इमरजेंसी है इसको आप इसलिए इमरजेंसी मान लीजिए की यह एक इमरजेंसी है, क्योंकि आने वाले समय में जब कोई इमरजेंसी आ जाए तब आपको किसी के आगे हाथ ना फैलाना पडे।
तब मैं यह डिसीजन लिया, मैं ठान लिया और मैं इस बिजनेस की शुरुआत किया मैं आपको यह बताना चाहता हूं की मैं बहुत खुश हूं जब मैं इस बिजनेस को शुरू किया था तब उस टाइम मैं अकेला था लेकिन आज मेरे साथ 30 लोग काम कर रहे हैं। आपके पास जितने लोगों का टीम हो उतना बताएं।
और फिर आप यह बोलिए कि आज आप भी उसी मुकाम पर खड़े हैं यहां पर या तो आप मान लीजिए या ठान लीजिए।
यही दो ऑप्शन है, तो बोलिए सर एक हिम्मत वाला इंसान क्या करेगा मानेगा की ठानेगा।
शब्दों को पकड़िए यही सेंटेंस आपको बोलना है हिम्मत वाला इंसान क्या करेगा मानेगा की ठानेगा तब वह बोलेंगे ठानेगा तब आपको बोलना है बोलिए सर आपको मानना है कि ठानना है तब वह बोलेंगे ठानेंगे सर तो यहां पर आपकी जॉइनिंग कंफर्म हो गया इस प्रकार से आप लोगों को ज्वाइन करा सकते हैं।
लेकिन यह सारी बातों से मोटिवेशन मिलता है आप इस चीज को समझिए।
फॉलो-अप में आपका टारगेट है मोटिवेट करना लेकिन बहुत लोग प्रेशर करते हैं आप को मोटिवेट करना है प्रेशर नहीं देना है।
जबरदस्ती नहीं करना है इस प्रकार से आप लोगों को मोटिवेट कर सकते हैं।
जैसे कि सामने वाले आदमी नहीं बोला कि मैं सोचकर बताऊंगा तो बहुत लोग कहने लगते हैं क्या सोच कर बताना है, इसमें क्या सोचना है ज्वाइन कर लीजिए या उसने बोला मेरे पास पैसे नहीं है तो बहुत लोग कहने लगते है कब तक पैसा आएगा ज्वाइन कर लीजिए।
इस प्रकार से आपको जबरदस्ती नहीं करनी है। अगर आप इस टेक्निक को अपनाएंगे तो आप का रिजल्ट 100% मिलने वाला है।
यदि आप सभी को आज का हमारा यह लेख “नेटवर्क मार्केटिंग में गेस्ट के ”ना” को “हाँ” में कैसे बदलें How to Handle Objection in Network Marketing” पसंद आया हो तो कृपया करके आप सभी हमारे इस लेख को अपने टीम के हर मेंबर के साथ जरूर शेयर करें ताकि वह सभी लोग भी “नेटवर्क मार्केटिंग में गेस्ट के ”ना” को “हाँ” में कैसे बदलें How to Handle Objection in Network Marketing” के बारे में समझ सके और दूसरों को समझा सके।
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