Best Motivational Hindi Kahani ये कहानी आपकी सोच बदल देगी
Best Motivational Hindi Kahani. जीवन भर हम जो भी सुनते हैं और जो भी देखते हैं वही हम बन जाते हैं । अगर हम अच्छी बातें सुनते हैं तो हमारा स्वभाव भी अच्छा होने लगता है और हमारे अंदर सद्गुण भी आने लगते हैं अगर हम बुरी चीज देखते हैं , बुरी बातें सुनते हैं और बुरे लोगों के संग में रहते हैं तो हमारा स्वभाव भी बुरा होने लगता है। इसीलिए हमेशा अच्छी बातें सुननी चाहिए और अच्छे लोगों के संग में रहना चाहिए।
आज हम बात करने वाले हैं कुछ ऐसे ही कहानि के बारे में जो हमारे जीवन से ही जुडी है, कहीं ना कहीं इस कहानी का कनेक्शन हर एक इंसान से जुड़ा है और आपको देखने में यह कहानी पुरानी लगेगी लेकिन जब आप इसको गहराई से सुनेंगे तो आपको लगेगा की यह कहानी हमारे जीवन से ही जुड़ी हुई है।
एक राजा की 4 पत्नियां थी लेकिन राजा सबसे ज्यादा प्यार अपने चौथे पत्नी से करता था । उसे बहुत ध्यान रखता था उसका बहुत परवाह करता था। वह अपनी तीसरी पत्नी से भी बहुत प्यार करता था लेकिन उसको अपने मित्रों को दिखाने में बहुत डरता था।
राजा को हमेशा इस बात का डर रहता था कि कहीं वह किसी और के साथ भाग ना जाए। राजा अपनी दूसरी पत्नी से भी बहुत ज्यादा प्यार करता था राजा को जब भी कोई परेशानी होती थी तो वह अपनी दूसरी पत्नी के पास जाता और वह उसकी परेशानियों को सुलझा देती थी।
लेकिन राजा अपनी पहली पत्नी से बिल्कुल ही प्यार नहीं करता था जबकि वह पत्नी राजा से बहुत ही प्यार करती थी, राजा का बहुत ही ख्याल रखती थी। 1 दिन राजा बहुत ही बीमार हो गया उसको यह एहसास हो गया कि वह मर जाएगा, उसने अपने आप कहा मेरी चार पत्नियां है उनमें से किसी एक को मैं अपने साथ ले जाऊंगा जब मैं मरू तो वह मेरा मरने में साथ दें।
राजा ने अपने चौथे पत्नी से कहा क्या तुम मेरे मरने में साथ दोगी और मेरे साथ चलोगी तो वह बोली अभी तो मेरी उम्र बहुत ही छोटी है अभी तो मैंने कुछ देखा ही नहीं है मैं आपके साथ नहीं चल सकती। फिर राजा ने अपनी तीसरी पत्नी से पूछा तो उसने कहा मुझे तो अपनी जिंदगी से बहुत प्यार है जब तुम मर जाओगे तो मैं दूसरी शादी कर लूंगी।
फिर राजा ने अपनी दूसरी पत्नी से कहा तो वह बोली मुझे माफ कर दो मैं आपकी इसमें कोई मदद नहीं कर सकती ज्यादा से ज्यादा दफनाने तक मैं तुम्हारे साथ रह सकती हूं। अब उस राजा का दिल बहुत बैठ गया बहुत दुखी हो गया तब उसको एक आवाज सुनाई दिया कि मैं तुम्हें तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं तुम जहां भी जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी जब राजा ने देखा तो वह उसकी पहली पत्नी थी ।
वह बहुत ही बीमार हो चुकी थी क्योंकि उसका कोई ख्याल नहीं रखता था कोई उससे प्यार नहीं करता था। अंत में राजा बहुत ही पछताने लगा और बहुत ही रोने लगा वह कहने लगा कि मुझे तुम्हारी बहुत ही देखभाल करनी चाहिए थी तुम्हारी परवाह करनी चाहिए थी तुम्हें प्यार करना चाहिए था और मैं यह सब कुछ कर सकता था लेकिन फिर भी मैंने तुम्हारी कभी भी परवाह नहीं की ।
कभी भी प्यार नहीं किया जबकि तुम मुझे हमेशा बहुत ही प्यार दिया। जानते हैं वह राजा कौन था वह है आप खुद ही हो और वह राजा हम ही हैं। हम सबकी भी 4 पत्नियां होती हैं, पहली पत्नी होती है हमारी शरीर , हम इस शरीर को जितनी भी सजा ले और सवार ले जब हम मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देता है।
तीसरी पत्नी होती है हमारा धन, दौलत और हमारा रुतबा लेकिन जब हम मर जाते हैं तो यह किसी और के पास चले जाते हैं। हमारी दूसरी पत्नी होती है हमारे दोस्त, हमारे रिश्तेदार, चाहे वह कितनी भी करीब क्यों ना हो लेकिन हमारे मरने के बाद ज्यादा से ज्यादा तक हमें दफनाने तक ही हमारे साथ में रहते हैं।
और हमारी पहली पत्नी होती है हमारी आत्मा जो इस संसार के मोह माया में कहीं खो जाती है जिसकी तरफ हम ध्यान ही नहीं देते जिसे हम भुला देते हैं लेकिन वह हमारी आत्मा हमारी साथ कभी नहीं छोड़ती चाहे हमारे साथ कितना भी बड़ा दुख क्यों ना आ जाए चाहे क्यों ना मौत आ जाए लेकिन वह हमारा साथ कभी नहीं छोड़ती।
कहानी का यही सबक है कि हर इंसान को अपनी आत्मा को जाननी चाहिए, हर इंसान को अपनी आत्मा से जुड़ा होना चाहिए क्योंकि यही है जो आत्मा परमात्मा से जुड़ी हुई है। यह हमारी आत्मा उस ईश्वर, परमात्मा से जुड़ा हुआ है जो हमारा साथ हमेशा देते हैं। लेकिन यह शरीर , धन दौलत, दोस्त रिश्तेदार एक न एक दिन हमारा साथ छोड़ ही देते हैं इसीलिए सबसे ज्यादा प्रेम अपनी आत्मा अपनी चेतना से करनी चाहिए।
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