अब जम्मू से भी बन सकेंगे जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री !!
महत्वपूर्ण बिन्दू
Now Jammu will also be able to become the Chief Minister of Jammu and Kashmir : जैसा कि आपको ज्ञात होगा भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेट का दर्जा छीन लिया और धारा 370 को हटाते हुए उसे भी 1 केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। जब जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया उसके बाद से वहां पर राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था।
जम्मू कश्मीर के अंदर से लोकसभा में और राज्यसभा में सांसद चुनकर आते हैं। वही खुद की विधानसभा में भी विधायक बैठते हैं। जम्मू कश्मीर की जो अपनी विधानसभा है जिसमें विधायक बैठते हैं, उनके बारे में आज चर्चा हो रही है। जम्मू कश्मीर की विधानसभा के अंदर कितनी सीटें हो इसके लिए एक परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) को वहां पर भेजा गया है ।
परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) क्या है ?
परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) : यह भारत सरकार द्वारा परिसीमन अधिनियम के द्वारा बनाया गया एक आयोग है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसके संबंध की अधिसूचना जारी की जाती हैं।
परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) का क्या कार्य होता हैं ?
इस आयोग का निम्नलिखित काम होता है:
1. यह आयोग हाल ही में की गई जनगणना के आधार पर लोकसभा और विधानसभा के लिए निर्वाचन क्षेत्र को निर्धारित करता हैं।
2. इस आयोग के द्वारा निर्धारित की गई सीमा के अंदर कितने MP कितने MLA हो इसका भी निर्धारण किया जाता है और इस में स्थिरता बनी रहे इसका भी ध्यान रखा जाता है।
3. परिसीमन आयोग द्वारा अनुसूचित जाति ( SC ) और अनुसूचित जनजाति ( ST ) के लिए विधानसभा सीटों क्या रिजर्वेशन वहां की जनगणना के आधार पर की जाती है।
परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) का गठन कब हुआ ?
परिसीमन आयोग का गठन भारत के सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2002 को किया गया। जो वर्ष 2001 में हुई जनगणना के आधार पर नए निर्वाचन क्षेत्रों में विधानसभा और लोकसभा के सीटों की आकलन करती है।
इसने अपना रिपोर्ट भारत सरकार को दिया था लेकिन सरकार ने उस समय इस पर ध्यान नहीं दिया। इस विषय में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पास नोटिस भेजा। सुप्रीम कोर्ट का नोटिस आने के बाद भारत सरकार ने 11 जनवरी 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा लागू कर दिया।
परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) का गठन कितनी बार हो चुका है ?
परिसीमन आयोग का गठन 1952, 1962, 1972 और 2002 में किया जा चुका है।
परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) ने जम्मू कश्मीर में क्या कार्य किया है ?
परिसीमन आयोग एक संवैधानिक संस्था के रूप में इसे आर्टिकल 82 के तहत स्थापित किया जाता है। जिसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है।अगर इस आयोग ने यह फैसला दे दिया कि अब इस क्षेत्र से इतने ही विधायक या सांसद चुनाव लड़ेंगे तो उस क्षेत्र से उतने ही विधायक और सांसद की सीटें रिजर्व होती हैं। आयोग चाहे तो जनगणना के हिसाब से सीटें घटा या बढ़ा सकती है।
भारत सरकार ने परिसीमन आयोग को जम्मू कश्मीर भेजा था। जिसने भारत सरकार को अपना रिपोर्ट सौंप दिया है। इसके पहले जम्मू कश्मीर स्पेशल स्टेट का दर्जा रखता था इसलिए अभी तक वहां पर इस आयोग को नहीं भेजा गया था। जम्मू कश्मीर में लोकसभा और राज्यसभा का निर्णय परिसीमन आयोग ही रखता था।
लेकिन विधानसभा का निर्णय वहा मौजूद अपना संविधान द्वारा लिया जाता था। जो यह निर्णय लेता था कि विधानसभा के अंदर किस प्रकार के और कितने लोग चुनकर जाएंगे। वहां पर भारत सरकार का परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) काम नहीं करता था।
अब जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दिया गया है तो वहां पर उसका संविधान खत्म हो गया है। ऐसी स्थिति में वहां पर भारत सरकार का परिसीमन आयोग काम करने चला गया है और उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
उसने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि जम्मू विधानसभा क्षेत्र से 6 सीटें बढ़ाई जाए और कश्मीर के अंदर सिर्फ 1 सीटें बढ़ाए जाने का प्रस्ताव दिया गया है। वहां के प्रमुख नेता फारूक अब्दुल्लाह ने इसका विरोध किया है।
अब जम्मू, कश्मीर और POK के लिए विधानसभा की किसने सीटें परिसीमन आयोग द्वारा बढ़ाई गई हैं?
अब जम्मू विधानसभा क्षेत्र से 37 सीटों को बढ़ाकर 43 सीटें कर दी गई है। वहीं पर कश्मीर में जो 46 सीटें हुआ करती थी वह अब 47 सीट कर दी गई है। जो अब विधानसभा सीटों की कुल संख्या 90 हो गई है।
POK की विधानसभा सीटों के लिए भी परिसीमन आयोग ने कितनी सीटें आरक्षित की है?
अभी कश्मीर का कुछ हिस्सा जो पाकिस्तान के कब्जे में है जिन्हें हम POK कहते हैं। जिसके लिए भी परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी है। POK के लिए भी उसने 24 सीटें बनाकर सौंप दी है। इस परिसीमन आयोग का कहना है कि जब यह POK हमारे पास वापस आएगा तो उस समय वहां से भी विधानसभा के लिए 24 MLA चुनकर इस क्षेत्र से आएंगे।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए जम्मू कश्मीर की विधानसभा में कितनी सीटें आरक्षित की गई हैं?
आने वाले समय में जम्मू कश्मीर के अंदर जो विधानसभा है उसमें कुल वर्तमान 90 सीटें और POK के लिए 24 सीटें अर्थात कुल 114 सीटें हो जाएंगी। वर्तमान में 24 सीटें अभी खाली रहेंगी। जम्मू कश्मीर की विधानसभा के लिए अनुसूचित जाति के लिए 9 सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए 7 सीटें भी आरक्षित की गई है।
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का परिसीमन आयोग ( Delimitation Commission.) के बारे में क्या कहना है ?
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला इन कश्मीरी नेताओं की राजनीति इनकी बयानबाजी पर ही चलती है। यह लोग समय-समय पर अपनी प्रतिक्रिया देते रहते हैं। इन्होंने परिसीमन आयोग के बारे में भी अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
जिनमें महबूबा मुफ्ती का कहना है कि परिसीमन आयोग के बारे में मेरी आशंका गलत नहीं थी। वे जनसंख्या की जनगणना की अनदेखी करके और एक क्षेत्र के लिए 6 सीटों और कश्मीर के लिए केवल एक का प्रस्ताव करके लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं।
वहीं पर ओमर अब्दुल्ला का कहना है कि जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की मौजूदा सिफारिश अस्वीकार्य है। नव निर्मित विधानसभा क्षेत्रों का वितरण जिसमें 6 जम्मू और केवल 1 कश्मीर में जा रहे हैं, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार उचित नहीं है।
इन लोगो के इस कथन से यह प्रतीत हो रहा है कि जो जम्मू में सीटें बढ़ाई गई है हो सकता है इससे अब कश्मीर से नहीं बल्कि जम्मू से कोई मुख्यमंत्री चुनकर आ जाएगा। ऐसी स्थिति में इन लोगो को लग रहा है कि अब उनकी स्थिति बिगड़ने वाली है।
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