जिस समय आप अपने आपको आप लाइन मानने लगते हैं उसी समय से आपके अंदर बॉस वाली फीलिंग डिवेलप हो जाती है कि मैं बॉस हूं और मेरी जितनी डाउन लाइन है वह सब मुझे बॉस कहेंगे क्योंकि मैं उनका बॉस हूं।
और जैसे ही आप बॉस बनते हैं वैसे आपके डाउन लाइन एंप्लॉय बन जाती है और एंप्लॉय कभी भी किसी का भी ईमानदार नहीं होता है। एंप्लॉय कभी भी किसी को पूरा 100% ईमानदारी के साथ काम करके नहीं देती।
क्योंकि वह तो एक एंप्लॉय है और कोई नुकसान भी होगा तो एंप्लॉय का नुकसान नहीं होगा बॉस को नुकसान होगा और कंपनी का नुकसान होगा। एंपलाई को जितना काम बोला जाता है उतना काम वो करके दे देती है और वह भी पूरी 100% ईमानदारी के साथ नहीं करती है।
तो इस हालात में ऑर्गनाइजेशन की ग्रोथ नहीं हो पाएगी क्योंकि जब तक हर एक टीम मेंबर अपना 100% नहीं लगाएगा तब तक ऑर्गनाइजेशन की ग्रोथ नहीं हो पाएगी और ग्रोथ होगी भी तो छोटी-मोटी ग्रोथ होगी बड़ी ग्रोथ नहीं हो पाएगी।
तो अगर आप एक अप लाइन हैं तो मैं आपसे एक बात बताना चाहूंगा कि सबसे पहले तो आप अपने आपको अप लाइन बोलना बंद कर दीजिए। और डाउन लाइन को डाउन लाइन बोलना बंद कर दीजिए आप इस शब्द का इस्तेमाल ही खत्म कर दीजिए।
आप यह मानिए कि मेरी टीम में कोई भी अप लाइन नहीं है कोई भी डाउन लाइन नहीं है बस हम लोगों का एक टीम हैं आप ऐसा मान कर चलिए। और अगर आपको किसी को अप लाइन बोलना है तो आप उसको मेंटर बोलिए।
क्योंकि वह तो मेंटर का ही रोल अदा करते हैं वह सिखाते हैं वह गाइड करते हैं इसलिए उनको मेंटर बोलिए। और जो आपके डाउन लाइन हैं उनको आप बस टीम शब्द का इस्तेमाल कीजिए।
मैं आप सभी को यहां पर यह बताना चाहूंगा कि क्या आपको पता है कि अप लाइन और डाउन लाइन का शब्द क्यों बनाया गया था ?
यानी कि कौन इस बिजनेस में या इस कंपनी में पहले आया था ,और कौन बाद में आया था ,कौन किस के नीचे है, कौन सबसे ऊपर है ? इस चीज को मैनेज करने के लिए अप लाइन और डाउन लाइन का शब्द कंपनी बनाई थी लेकिन लोग अपने बिजनेस में इस्तेमाल करने लग जाते हैं।
और यह जो अप लाइन और डाउन लाइन का शब्द है यह शब्द दिमाग पर जहर की तरह काम करती हैं। इसलिए मैं आप सभी से यही कहना चाहूंगा कि आप अपने डाउन लाइन को कभी भी एंप्लॉय मत बनाइए।